नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का लक्ष्य साल 2035 में यानी अपनी स्थापना के 100 साल में विकाससशील देशों के केंद्रीय बैंकों के लिए एक आदर्श बनने का है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि RBI@100 एजेंडे में वो सब कुछ है,जो हम करना चाहते हैं. इसमें भारत की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाना,मौद्रिक नीति में खुद को अग्रणी के रूप में स्थापित करना और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना शामिल है. NDTV के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शक्तिकांत दास ने बताया कि RBI कैसे भविष्य के लिए तैयार रहेगा.
NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्स्क्लूसिव इंटरव्यू में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया,"RBI की स्थापना 1935 में हुई थी. इस साल हम 90वां वर्ष सेलिब्रेट कर रहे हैं. हमने एक एजेंडा बनाया है - RBI at 100. बहुत-से सेक्टरों में अगले 10 साल में क्या-क्या करना है,इसमें पूरी लिस्ट है. 2034 तक हमें क्या-क्या हासिल करना है,एजेंडे में सारी डिटेल है. हमारा फोकस उसी पर है. हमारा लक्ष्य RBI को 'फ्यूचर रेडी' रखना है."
RBI को आम आदमी की भाषा में समझाना हमारा लक्ष्य
RBI गवर्नर ने भारत की अर्थव्यवस्था,बढ़ती महंगाई दर,GDP ग्रोथ रेट,बैंकिंग सिस्टम में AI के इस्तेमाल,साइबर सिक्योरिटी और वित्तीय स्थिरता पर विस्तार से बात की.शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बैंकिंग सिस्टम को आसान भाषा में समझाने पर जोर दिया है. शक्तिकांत दास ने कहा,"RBI को आम आदमी की भाषा में समझाना हमारा लक्ष्य है. इसलिए RBI के काम को सरल भाषा में पेश करने की कोशिश की जा रही है. ताकि हर इंसान अपने बैंकिंग सिस्टम को जान पाए और समझ पाए."
शक्तिकांत दास कहते हैं,"बहुत से लोग पूरी तरह से नहीं जानते कि RBI का क्या काम है? RBI हर व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित करता है... हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का कम्युनिकेशन और उसका आउटरीच अच्छे से चले."
कोविड के बाद बैंकिंग सिस्टम के सामने थी बड़ी चुनौतियां
शक्तिकांत दास ने कहा,"भारतीय रिजर्व बैंक ने 1935 में काम करना शुरू किया था. UPI पेमेंट में RBI का बड़ा रोल है. हमने कोरोना महामारी और उसके बाद की चुनौतियों का अच्छे से सामना किया है. कोविड के अलग-अलग दौर में बैंकिंग सिस्टम के सामने चुनौतियां बड़ी थीं. दुनिया के सामने कई और चुनौतियां भी थीं. यूक्रेन युद्ध का असर भी बड़ा था. लेकिन सरकार और RBI ने मिलकर अच्छा काम किया."
RBI सरकार को फ्रॉफिट या लॉस नहीं देता
शक्तिकांत दास कहते हैं,"RBI का फोकस मुख्य रूप से देश की वित्तीय और मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करना है. हम एक नॉन फ्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन हैं. इसलिए हम हर साल सरकार को कोई फ्रॉफिट या लॉस नहीं देते,बल्कि सरप्लस ट्रांसफर करते हैं."
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महंगाई दर पर क्या बोले RBI गवर्नर
बढ़ती महंगाई दर पर RBI गवर्नर ने कहा,"हमने कभी नहीं कहा कि मुद्रास्फीति दर (Inflation Rate) 4% से नीचे जाएगी. हमारा लक्ष्य 4% के करीब रहना है. 4% की वन-ऑफ रीडिंग पॉलिसी को आगे नहीं बढ़ा सकती. लिहाजा हमें धैर्य रखना होगा और इंतजार करना होगा."
RBI गवर्नर ने कहा,"हम ईंधन और भोजन को समीकरण से बाहर नहीं ले जा सकते. मुद्रास्फीति कम हो रही है. लेकिन इसके रेट को हम आम आदमी के चश्मे से नहीं देख रहे हैं. ओवरऑल कंज़प्शन बास्केट की बात करें,तो खाद्य मुद्रास्फीति (Food inflation) की हिस्सेदारी 46% है."शक्तिकांत दास कहते हैं,"एक परिवार की इनकम का करीब 50% खर्च भोजन पर होता है. भविष्य के आंकड़े तय करेंगे कि महंगाई की दर कहां बढ़ेंगी. हमें भरोसा है कि महंगाई की दर कम होगी और ये 4% के आसपास आ जाएगी. इस साल के लिए औसत CPI मुद्रास्फीति दर 4.5% है. हमें अभी बहुत सारी अनिश्चितताओं को ध्यान में रखना है."
अर्थव्यवस्था में सुनिश्चित करनी होगी मूल्य स्थिरता
RBI गवर्नर ने कहा,""हमें भारतीय अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता (Price Stability) सुनिश्चित करनी होगी. मूल्य स्थिरता से उपभोक्ता को भरोसा मिलता है. वहीं,महंगाई दर यानी मुद्रास्फीति को बनाए रखने से निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा. एक रेगुलेटर के रूप में हमें वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) जरूर बनाए रखनी चाहिए. यह भी बहुत महत्वपूर्ण है."
शक्तिकांत दास ने कहा,"GDP ग्रोथ रेट और दूसरी आर्थिक गतिविधियां कैसे बढ़ेंगी? इस पर भी RBI ध्यान दे रहा है. पिछले कुछ साल में हमने कई सुधार किए हैं. हमारी मॉनिटरी पॉलिसी का स्ट्रक्चर,IBC,मेक इन इंडिया वगैरह सभी हाल के वर्षों में हुए हैं. अभी एग्रीकल्चर मार्केटिंग,सप्लाई सेक्टर्स,श्रम जैसे पेंडिग रिफॉर्म पर काम करना है."
डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के लिए रिपोजिटरी
RBI गवर्नर ने कहा,"साइबर अटैक एक बड़ा खतरा है,जो टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है. बैंकिंग सिस्टम में हमने ग्राहकों में साइबर अटैक के बारे में जागरूकता फैलाने पर काम किया है. हम डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को लेकर भी एक पब्लिक रिपोजिटरी बना रहे हैं.'' शक्तिकांत दास कहते हैं,"हम साइबर सिक्योरिटी को लेकर नियमित रूप से बैंकों और NBFCs के संपर्क में हैं. साइबर सिक्योरिटी की क्वालिटी में सुधार के लिए हम लगातार उनके साथ काम कर रहे हैं."
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर दिया जोर
शक्तिकांत दास ने आने वाले दिनों में बैंकिंग सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया है. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शक्तिकांत दास ने कहा,"सुपरविजन को और मजबूत करने के लिए AI और ऐसे मॉर्डन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई एनालिटिकल टूल्स के जरिए बैंकिंग सेक्टर में समस्याओं का एनालिसिस भी किया जा रहा है. ये एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है. हमें इसे रि-एवैलुएट (Re-Evaluated) यानी पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है."
फिनटेक प्लेयर्स के साथ अच्छा तालमेल
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिनटेक यानी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में हुए इनोवेशंस को लेकर बने नियमों ( Fintech Regulation) पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा,"अच्छे फिनटेक प्लेयर्स RBI के रेगुलेटर के दृष्टिकोण को अच्छे से समझते हैं. फिनटेक प्लेयर्स और एसोसिएशंस के साथ हमारे रिलेशन बेहतर हैं. RBI का फिनटेक डिपार्टमेंट उनके साथ ग्रुप में या व्यक्तिगत तौर पर रेगुलेर मीटिंग करता रहता है. पिछले साल हमने एक फिनटेक SRO का ऐलान किया था. ये RBI और फिनटेक प्लेयर्स के बीच एक इंटरफेस के तौर पर काम करेगा."
पहले से सुधरा है बैंकिंग सिस्टम का गवर्नेंस स्टैंडर्ड
शक्तिकांत दास ने कहा,"बैंकिंग सेक्टर में RBI ने पिछले 5-6 साल में रिस्क मैनेजमेंट,कंप्लिएन्स कल्चर (Compliance Culture) जैसे गवर्नेंस रिलेटेड पहलुओं में सुधार करने की कोशिश की है. देश के बैंकिंग सिस्टम में ओवरऑल गवर्नेंस स्टैंडर्ड पिछले कुछ सालों में काफी सुधरा है."
हमारा एक्शन एक सुधारात्मक उपाय
बैंकिंग सिस्टम में सुधारात्मक उपायों को लेकर पूछे गए सवाल पर शक्तिकांत दास कहते हैं,"कुछ संस्थाओं के खिलाफ RBI की कार्रवाई कोई सजा नहीं है,बल्कि ये एक सुधारात्मक उपाय है. जिन संस्थाओं को हम रेगुलेट करते हैं,शिकायत मिलने पर हम उनकी ऑन-साइट और ऑफ-साइट मॉनिटरिंग भी करते हैं. सुपरविजन डेवलप किया गया है और इसका इस्तेमाल भी होता है. जब हमें कोई कमी मिलती है,तो हम संस्थाओं को पहले अलर्ट करते हैं. फिर उनसे एक क्लियर रोडमैप मांगते हैं. हमारी अपेक्षा है कि हम संस्थाओं को मुद्दों का समाधान करने का समय दें. इसके बाद भी अगर वो कुछ नहीं कर पाते,तो उपभोक्ताओं के हित में हमें एक्शन लेना पड़ता है."
RBI के अगस्त के बुलेटिन के मुताबिक,बैंक कॉमर्शियल पेपर और डिपॉजिट सर्टिफिकेट जैसे ऑप्शनल सोर्सेस का इस्तेमाल कर रहे हैं,क्योंकि डिपोजिट ग्रोथ क्रेडिट ग्रोथ से कम है.बाइमंथली मॉनिटरी पॉलिसी की शुरुआत करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा था,"बैंक इंक्रिमेंटल क्रेडिट डिमांड को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट और दूसरे देयता (Liability) के उपकरणों का ज्यादा सहारा ले रहे हैं. यह संभावित रूप से बैंकिंग सिस्टम के सामने स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी ला सकता है."स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी पर कंट्रोल जरूरी
स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी से जुड़े सवाल के जवाब में शक्तिकांत दास ने कहा,"भारत के युवा आकांक्षी हैं. इसमें कोई गलत बात भी नहीं है. ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. वास्तव में ये पॉजिटिव डेवलपमेंट का संकेत है. बैंकों को हमारी यही सलाह है कि वो इस बदलाव पर बारीकी से नजर रखें. मौजूदा समय में ये कोई समस्या नहीं है. लेकिन आने वाले दिनों में ये चीज स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी की समस्या बन सकती है."
शक्तिकांत दास कहते हैं,"बैंकों को Liquidity Management से निपटने के लिए एक्टिव होकर काम करना होगा. क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में बैलेंस होना चाहिए. बैंक आकर्षक रेट पर इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स के जरिए फंड्स जुटा रहे हैं.
ऐसे बॉन्ड्स में आरक्षित आवश्यकताएं नहीं होती. इनका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम के फाइनेंस के लिए किया जा रहा है,जो एक पॉजिटिव कदम है. बेशक मोबाइल बैंकिंग की वजह से लोन डिस्बर्समेंट यानी लोन मिलने की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है,लेकिन हमें समझना होगा कि डिपॉजिट मोबिलाइजेशन अभी भी एक फिजिकल एक्टिविटी है."
RBI के लिए जारी किया एजेंडा
शक्तिकांत दास ने कहा,"हमने 100 साल में RBI के लिए एक एजेंडा जारी किया है. इस एजेंडे का मकसद RBI को भविष्य के लिए तैयार रखना है. यहां सब कुछ एक टीम वर्क है. इसके लिए मैं RBI की पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूं. इसके साथ ही वो रेगुलेटर भी बधाई के हकदार हैं,जो लगातार अच्छी कोशिश कर रहे हैं."
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