यूपीआई, रुपे को वैश्विक बनाना आरबीआई के एजेंडे में सबसे ऊपर : शक्तिकांत दास

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास.

मुंबई:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया के आधार पर केंद्रीय बैंक अब "यूपीआई और रुपे को सही मायने में वैश्विक" बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

दास ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में कहा,"विदेशों में यूपीआई जैसी बुनियादी संरचना की तैनाती,अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक स्थानों पर यूपीआई ऐप के माध्यम से क्यूआर कोड-आधारित भुगतान स्वीकृति की सुविधा और सीमा पार से पैसे भेजने के लिए अन्य देशों के फास्ट पेमेंट सिस्टम (एफपीएस) के साथ यूपीआई को जोड़ना हमारे एजेंडे में शीर्ष पर है."

उन्होंने बताया कि इस दिशा में भूटान,नेपाल,श्रीलंका,सिंगापुर,संयुक्त अरब अमीरात,मॉरीशस,नामीबिया,पेरू,फ्रांस और कुछ अन्य देशों में पहले ही उल्लेखनीय प्रगति हो चुकी है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा,"ये प्रयास दुनिया भर में भारत की पहलों को अपनाने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को रेखांकित करते हैं. मैं अब तक की उपलब्धियों के लिए एनपीसीआई और रिजर्व बैंक में अपने सहयोगियों को बधाई देना चाहूंगा,लेकिन हमें इस राष्ट्रीय प्रयास में और अधिक करने का संकल्प लेना चाहिए."

उन्होंने यह भी कहा कि भारत का सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी),जो पायलट चरण में है,संभावित अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक और उदाहरण है. उन्होंने कहा,"हम अब सीबीडीसी के माध्यम से भूमिहीन किरायेदार किसानों को ऋण या सरकारी सहायता और किसानों को कार्बन क्रेडिट प्रदान करने के लिए प्रोग्रामेबिलिटी जैसी सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं. हमने यूपीआई जैसी खुदरा तेज़ भुगतान प्रणालियों के साथ सीबीडीसी की अंतर-संचालनीयता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है,जबकि हम ऑफ़लाइन समाधानों पर अपने प्रयोग से लाभांवित हो रहे हैं. जैसे-जैसे हम प्रगति करते हैं,अन्य देशों के साथ उनके सीबीडीसी प्रयासों में सहयोग करके हमें खुशी होगी."

आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि भारत के वित्तीय परिदृश्य के भविष्य को देखते हुए,अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का एकीकरण हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में परिवर्तनकारी प्रगति का वादा करता है.

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग अभूतपूर्व तरीके से वित्तीय सेवाओं में क्रांति लाने के लिए तैयार हैं. धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए एआई एल्गोरिदम पहले से ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं. मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल क्रेडिट स्कोरिंग में तेजी से किया जा रहा है. क्रेडिट योग्यता का आकलन करने और क्रेडिट तक पहुंच का विस्तार करने के लिए पूर्वानुमानित विश्लेषण का लाभ उठाया जा रहा है. जैसे-जैसे एआई और एमएल क्षमताएं विकसित होती जा रही हैं,विनियामक अनुपालन,निवेश सलाहकार सेवाओं और एल्गोरिथम ट्रेडिंग में उनके संभावित अनुप्रयोगों से वित्तीय परिदृश्य को और अधिक परिभाषित करने की उम्मीद है.

साथ ही दास ने एआई से उत्पन्न जोखिमों को पूरी तरह से समझने और इसे संतुलित तथा जिम्मेदारी से अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र के हितधारकों,केंद्रीय बैंकों और सरकारों को डेटा गोपनीयता,व्याख्या,जवाबदेही और पारदर्शिता से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भरोसेमंद एआई के विकास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए.

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