एसएम कृष्णा का वो सपना, जिससे बेंगलुरु बन गया भारत का IT हब

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा को मुख्यतौर पर एसएम कृष्णा के रूप में जाना जाता है. उनका निधन मंगलवार को 92 वर्ष की आयु में बेंगलुरु में अपने घर पर हुआ. भारतीय राजनीति में एक कद्दावर हस्ती कृष्णा को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल (1999-2004) के दौरान शहर की आईटी क्रांति को बढ़ावा देकर बेंगलुरु को भारत की ‘सिलिकॉन वैली' में बदलने का श्रेय दिया जाता है.

एसएम कृष्णा उम्र का हवाला देते हुए जनवरी 2023 में सक्रिय राजनीति से रिटायर हो गए थे और इसके साथ ही वह पांच दशकों से अधिक की सार्वजनिक सेवा की विरासत छोड़ गए.

50 सालों का करियर

एसएम कृष्णा के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1962 में हुई जब उन्होंने बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार मद्दौर सीट से चुनाव जीता. इसके बाद वह राजनीति में अहम पदों पर रहें. जैसे कि कर्नाटक विधान सभा के सदस्य,उपमुख्यमंत्री और विदेश मंत्री.

राष्ट्रीय स्तर पर कृष्णा 1968 में लोकसभा के लिए चुने गए और 1980 में फिर से चुने गए. उन्होंने उद्योग राज्य मंत्री और बाद में वित्त राज्य मंत्री के रूप में काम किया. 2009 में उन्हें मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था.

बेंगलुरु का आईटी बूम

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में कृष्णा का कार्यकाल बदलाव के समय के रूप में याद किया जाता है. उनकी शुरुआती योजना और शासन ने आईटी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दिया,जिससे बेंगलुरु को भारत के तकनीकी केंद्र के रूप में वैश्विक पहचान मिली. उनके नेतृत्व में,शहर ने ग्लोबल टेक हब को आकर्षित किया,नौकरियां पैदा कीं और अर्थव्यवस्था को नया रूप दिया.

बाद के वर्षों में राजनीतिक बदलाव

शुरुआत में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य रहे कृष्णा बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए और खूब चर्चा में आए. लेकिन 2017 में उन्होंने भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका दिया और कांग्रेस के साथ 50 साल का रिश्ता खत्म कर दिया.

वकील और स्कॉलर

1 मई,1932 को मांड्या जिले के सोमनहल्ली में जन्मे कृष्णा अपनी शैक्षणिक योग्यता के लिए जाने जाते थे. मैसूर के महाराजा कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और बाद में डलास में दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय और जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में उन्नत अध्ययन किया,जहां वे फुलब्राइट स्कॉलर थे. राजनीति में प्रवेश करने से पहले,कृष्णा रेणुकााचार्य लॉ कॉलेज में इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर के थे.

राजनीतिक हाईलाइट्स

- 1989 से 1993 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष


- 1992 में कर्नाटक के डिप्टी चीफ मिनिस्टर


- 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री


- 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के गवर्नर


- 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री

परिवार और पर्सनल जिंदगी

कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा कृष्णा और दो बेटियां मालविका कृष्णा और शांभवी कृष्णा हैं.

विरासत और प्रभाव

बेंगलुरु को वैश्विक आईटी हब के रूप में विकसित करने में कृष्णा के योगदान,विदेश मंत्री के रूप में उनकी कूटनीतिक सूझबूझ और विभिन्न भूमिकाओं में उनके नेतृत्व ने भारतीय राजनीति पर एक अमिट छाप छोड़ी है.

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