लड़कियां हाथ में राइफल ले खिंचवा रहीं तस्वीरें... अलकायदा का 'सीरियाई बेटा' महिलाओं के मामले में तालिबान से कितना अलग

Syria Condition Like Afghanistan: सीरिया गृहयुद्ध की तरफ बढ़ता दिख रहा है.

ये तस्वीर सभ्य समाज को चिंतित करने वाली है. दमिश्क में एक लड़की लड़ाकों से बंदूक लेकर लहरा रही है. चेहरे पर उसके खुशी है. ऐसा लगता है कि जैसे बंदूक ही सारी मुसीबतों का इलाज है. सीरिया में असद सरकार के जुल्मों के कारण बड़ी संख्या में सीरिया के लोग विद्रोह पर उतर आए. इनमें वो भी थे,जिनके परिवार वालों को असद सरकार ने बेरहमी से कुचल दिया था. वो भी थे जिनके अपने सालों से जेलों में सिर्फ असद सरकार की खिलाफत करने के कारण बंद थे. अब सभी को लग रहा है कि उन्हें मुक्ति मिल गई है. आजादी मिल गई है. ये खुशियां मनाने का दिन है और चूंकि ये खुशी बंदूक और हिंसा के दम पर मिली है तो बंदूक और हिंसा नाजायज नहीं.

असल में समस्या यहीं से शुरू होती है. तालिबान के आने से पहले अफगानिस्तान एक सभ्रांत समाज हुआ करता था. वहां की महिलाओं के पास काफी अधिकार थे. 1990 की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उदय माना जाता है. इस दौर में सोवियत सेना अफगानिस्तान से वापस जा रही थी. पश्तून आंदोलन के सहारे तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी जड़े जमा ली थीं. इस आंदोलन का उद्देश्य था कि लोगों को धार्मिक मदरसों में जाना चाहिए. इन मदरसों का खर्च सऊदी अरब द्वारा दिया जाता था. 1996 में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया. 2001 में अमेरिका पर हमले के बाद तालीबान बर्बादी के कगार पर पहुंच गया,लेकिन फिर 2021 में अमेरिका और नाटो सेना के जाने के बाद तालिबान का राज आ गया. अब हालत ये है कि वहां हिजाब और पर्दे करने से लेकर पढ़ाई तक को लेकर महिलाओं पर पाबंदियां हैं.

तालिबान की राह पर सीरिया?

वापस सीरिया पर आते हैं. सीरिया में जिस गुट ने कब्जा किया है वो है Hayat Tahrir al-Sham. इसकी जड़ें अलकायदा और ISIS से जुड़ी हुई हैं. ज्यादातर लड़ाके वहीं की नर्सरी से निकले. बाद में राहें बदलीं. लोग कह रहे हैं पैंट-शर्ट पहने अलकायदा हैं. महिलाओं के मामले में शाम की सोच क्या है.अभी जो तस्वीरें आ रही हैं,वह तालिबान के अफगानिस्तान में काबिल होने से अलग हैं. तब महिलाएं सड़कों से गायब थीं. यहां तस्वीरें विद्रोहियों के हाथों से राइफल ले सेल्फी वाली हैं. महिलाएं बंदूक लिए सड़कों पर घूम रही हैं. जश्न मना रही हैं. सीरिया में महिलाएं उन जेलों और कालकोठरियों के विनाश का जश्न मना रही हैं,जिनमें दशकों से हजारों राजनीतिक विरोधियों को रखा गया था.53 साल पुराने असद राजवंश के पतन का जश्न सीरियाई पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी मना रही हैं. हालांकि,जैसी तस्वीरें वहां से आ रही हैं,ऐसे में आने वाला समय सीरिया को अफगानिस्तान की तालिबानी राह पर लेकर चला जाए तो इसमें हैरानी की बात नहीं है.

कैसा है सीरिया का भविष्य

वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं. वो बताते हैं कि सीरिया में वही लोग हैं,जो अफगानिस्तान में थे. बस नाम बदल लिया गया है. अमेरिका से हाथ मिलाकर ये बागी बन गए. पहले अमेरिका और पश्चिमी देश ही इन्हें आतंकवादी कहते थे. अब बागी कहते हैं. इनके लीडर जरूर अच्छी बातें कर रहे हैं. मगर सीरिया पर कब्जे के बाद इन्होंने जो उत्पात मचाया है,वो सीरिया के गहराते संकट की ओर इशारा कर रहा है. अब सीरिया किसी के कंट्रोल में नहीं हैं. यहां कई गुट बन चुके हैं. एक तो अलकायदा का गुट. दूसरा मुस्लिम ब्रदरहुड का है. इसी तरह के दर्जनों ग्रुप हैं. असद सरकार की आर्मी का अलग ग्रुप बन जाएगा. इस तरह से ये अब एक-दूसरे पर ही हमले करेंगे और सीरिया में कब्जे की जंग चलती रहेगी. ISIS मजबूत होगा. सीरिया के एक एरिया में वो काफी समय से मौजूद है. अब वो और आगे बढ़ेगा. इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सीरिया आने वाले दिनों में गृहयुद्ध की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है. इसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति महिलाओं की हो सकती है. कारण युद्ध का सबसे ज्यादा असर बच्चों और महिलाओं पर ही पड़ता है. हालांकि,सीरिया के कमांडर अबू मोहम्मद अल-जुलानी (Abu Mohammad Al Julani) ने साफ कर दिया है कि वो हिजाब या किसी अन्य ड्रेस कोड के लिए महिलाओं को बाध्य नहीं करेंगे,मगर ये अभी की बात है. आगे क्या होगा कोई नहीं जानता.

तुर्किये और ईरान का क्या

कमर आगा बताते हैं कि तुर्किये नाटो का सदस्य है और अमेरिका पर काफी आश्रित है. वो कुर्द के 20 किलोमीटर के इलाके पर कब्जा करना चाहता है,लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि अमेरिका ऐसा उसे करने देगा. ऐसे में तुर्किये की मंशा तो पूरी नहीं होती दिख रही. हां,ईरान के सामने फिलहाल संकट जरूर है. इजरायल और अमेरिका का मानना है कि जब तक ईरान रहेगा तब तक आतंकवादी रहेंगे. आगे क्या होगा,ये तो आने वाला समय बताएगा,लेकिन ईरान ने हाल के दिनों में काफी तरक्की की है. इजरायल और अमेरिका लगातार ईरान पर आरोप लगा रहे हैं कि वो परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है. इस आरोप को लेकर वो ईरान पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे. हालांकि,ईरान ने भी काफी तरक्की की है. वो बार-बार कह रहा है कि अगर उस पर हमला हुआ तो वो जवाब देगा. साथी ही तेल की सप्लाई रोक देगा. जाहिर है,अमेरिका और इजरायल इतना बड़ा बखेड़ा फिलहाल खड़ा नहीं करना चाहेंगे.

तो फिर किसको फायदा

असद के जाने के बाद इजरायल ने काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इजरायली सेना ने गोलान हाइट्स पर कब्‍जा कर लिया है,जो रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम है. कमर आगा बताते हैं कि ये सारा मामला तेल पर कब्जे का है. इजरायल ने सीरिया के सारे सैन्य संसाधन नष्ट कर दिए हैं. इसके साथ ही जमीन पर भी कब्जा कर लिया है. अमेरिका को सीरिया से कुछ नहीं चाहिए. बस,वो ये चाहता है कि सीरिया के जितने विद्रोही गुट हैं,वो आपस में लड़ मरें. इससे ईरान का कमजोर होगा और इजरायल मजबूत होगा. साथ ही अमेरिका सीरिया के एक इलाके में पहले से ही बैठा हुआ है. ऐसे में अमेरिका अपना वर्चस्व बनाए रखेगा. हां,ये जरूर है कि इसके कारण इराक में भी अशांति का माहौल रहेगा. विद्रोही गुट इराक में घुसने की कोशिश करेंगे. अभी इराक की सेना इतनी मजबूत नहीं है कि वो इनसे निपट सके.

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